ब्लॉग 4
📅 16/01/2025
74 साल की बहादुर महिला – अटूट हौसले के साथ कैंसर से लड़ती हुई
मुझे फिल्म “थ्री इडियट्स” का गाना याद आता है — “बेहती हवा सा था वो…”
श्रीमती असीमा, 75 वर्ष की महिला, व्हीलचेयर पर मेरे पास आईं।
उनके पति वकील थे और 20 साल पहले उनका निधन हो चुका था।
कोई बच्चा नहीं था, और वो अकेली रहती थीं।
उन्हें स्टेज II सर्वाइकल कैंसर था।
मैंने उन्हें बताया कि इलाज में 25 रेडिएशन सत्र और 3 ब्रेकीथेरेपी सत्र होंगे।
वो बोलीं —
“डॉक्टर साहब, मुझ पर दया मत दिखाइए। मुझे सबसे अच्छा इलाज चाहिए।”
वो हर दिन ड्राइवर के साथ आतीं, खुद साइन करतीं, और इलाज पूरी निष्ठा से करवातीं।
कीमोथेरेपी के लिए जब मैंने चिंता जताई कि रात में कोई परेशानी हो गई तो कौन लाएगा, उन्होंने कहा —
“मैं खुद ओला/उबर कर लूंगी, आप इलाज में कोई समझौता मत कीजिए।”
उन्होंने पूरा इलाज पूरा किया।
आखिरी दिन उन्होंने मुझसे कहा —
“डॉक्टर, मेरी आंखों के नीचे काले घेरे आ गए हैं, आपके अस्पताल में अच्छा प्लास्टिक सर्जन कौन है?”
और फिर पूछा —
“अब मैं छुट्टियों पर कब जा सकती हूं?”
उनकी जीवनशक्ति और आत्मविश्वास ने मुझे स्तब्ध कर दिया।
75 साल की उम्र में, अकेले, बिना किसी शिकायत के उन्होंने कैंसर से जीत हासिल की।
वो अपना खाना खुद पकाती थीं और कहती थीं —
“मेरे अचार और चटनी मोहल्ले में बहुत प्रसिद्ध हैं!”