ब्लॉग 2
📅 23/06/2024
आशा की किरणें – एक मां की ताकत और बेटे की मुस्कान
मैं रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट हूँ — यानी कैंसर का इलाज “रेज़” (Rays) से करती हूँ।
इसलिए इस ब्लॉग का नाम रखा — “Rays of Hope, Happiness and Life.”
यह कहानी है गुरकीरत (गुरु) और उसकी मां दिलजीत की।
10 साल के गुरु को ब्रेन ट्यूमर (Medulloblastoma) था।
सर्जरी के बाद उसे रेडिएशन और कीमोथेरेपी की ज़रूरत थी।
शुरुआत में परिवार ने मां को सच्चाई नहीं बताई थी, लेकिन जब चाचा को काम पर लौटना पड़ा, तब दिलजीत ने सब संभाला।
वह हर दिन अस्पताल आतीं, टेस्ट, इलाज, और बच्चे की हर जरूरत खुद पूरी करतीं।
कई महीनों बाद गुरु कोमा में चला गया। दिलजीत अकेले ही उसकी सेवा में लगी रहीं — बिना रोए, बिना शिकायत।
धीरे-धीरे गुरु ठीक होने लगा।
उसने अस्पताल में ही अपना जन्मदिन मनाया — मुस्कुराते हुए, बिना किसी ट्यूब के।
सालों बाद, जब मैं गुरु के शहर में एक कॉन्फ्रेंस के लिए गई,
वो खुद अपनी कार चलाकर मुझे लेने आया।
मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे।
“मां कभी हार नहीं मानती।”
आज गुरु कॉलेज जाने वाला है — पूरी तरह स्वस्थ।
दिलजीत आज भी उससे थोड़ा झगड़ती हैं क्योंकि वह तेज साइकिल चलाना चाहता है, बाइक लेना चाहता है, तैरना चाहता है।